17.9.08

कितनी सहूलियत हो अगर आतंकवादी रोज विस्फोट करें!

देश की राजमंडली लकदक रहे तो कितना ठीक है। राजा साहिब बनाव-श्रृंगार नहीं करेंगे तो भला कौन करेगा, मेरा 'मंगरुआ'। गृह मन्त्री शिवराज पाटिल छैला बनकर नहीं घूमेंगे तो कौन घूमेगा। वैसे भी मुझको उनमें फिल्मी खलनायक अजीत या प्राण का अक्स नजर आता है। आप को अगर ठीक से याद आता हो तो बताइयेगा कि शिवराज बाबू किस फिल्मी पर्सनैलिटी की तरह लगते हैं। बहरहाल, शिवराज बाबू ने लोगों के सुविधानुसार ही वस्त्र धारण किया। विस्फोट से पहले पार्टी मीटिंग में गए तो बिल्कुल सौम्य ग्रे कलर का सूट पहनकर। वहां सोनिया-वोनिया जी कितने सारे लोग रहते हैं। मीडिया के सामने आए तो थोड़ा गहरे कलर का सूट पहन लिया। मीडियावाले ही बताएं कि आखिर कैमरे के सामने कपड़ों के रंग का महत्व होता है कि नहीं? बेचारे सुविधा भी प्रदान करते रहें और खिंचाई भी होती रहे, कैसा जमाना आ गया है। उसके बाद अस्पताल गये, मर-मरा गये और घायल लोगों का हालचाल लेने तो सफेद रंग का सूट पहन लिया। मीडिया के लोग जैसे सिनेमा देखते ही नहीं हैं। देखते नहीं वहां दरवाजे पर लाश पड़ी रहती है और परिजन एकदम झक सफेद कपड़े पहनकर विलाप करते हैं। कितने धैर्यशाली लोग होते हैं। घर में मौत पक्की हुई तो तुरन्त दहाड़ें मारना नहीं शुरू करते गंवारों की तरह। पहले जाते हैं वार्डरोब में से फ्यूनरल ड्रेस निकालते हैं तब रोना-धोना शुरू करते हैं। चाहे स्त्री हो या पुरुष सभी इस तरह का संयत व्यवहार करते हैं। इन फिल्मों को देखकर मुझे लगता है कि जरूर धनवान लोग दो-तीन जोड़ी फ्यूनरल ड्रेस बनवाकर रखते होंगे। तो अपने शिवराज जी भी सफेद सूट-बूट पहनकर गए शोक-संवेदना जताने।
आतंकवादियों ने अपने तयशुदा कार्यक्रम के तहत दिल्ली में बम विस्फोट कर दिया। उन्हें तो ऐसा करना ही था। अल्लाह के बन्दे हैं जो चाहें सो करें। कौन है उनको रोकने वाला। हमारी सरकार भी कम होशियार थोड़े है। उनकी इस घिनौनी हरकत से भी वह कुछ नया सीख लेती है। बकौल गृह सचिव 'हर बार के विस्फोट से अपना गृह मन्त्रालय कुछ नया सीखता है।' कितनी सहूलियत हो अगर आतंकवादी रोज विस्फोट करें, अपना गृह मन्त्रालय रोज कुछ न कुछ नया सीखेगा। मुफ्त की क्लास, मुफ्त का ज्ञान। कुल मिलाकर मुफ्त की पाठशाला। दरअसल इस्लामिक आतंकवाद के कीड़े पैर पसार चुके हैं और हमारी व्यवस्था से तो अब पायरिया की सी बदबू आने लगी है।
मैंने शुरू में ही देश के राजमंडली की जय कर दी है। झूठे थोड़े ही की है। वहां लालूजी हैं, रामविलास भाई हैं। दोनों सिमी समर्थक हैं। रामविलास भाई लादेन के भी जबर्दस्त फैन हैं। याद कीजिए २००४ बिहार विधानसभा का चुनाव। उस समय रामविलास भाई लादेन के एक हमशक्ल को लेकर चुनाव प्रचार कर रहे थे, तब भी मैंने लिखा था कि ऐसा करके वह एक समुदाय विशेष को कटघरे में खड़े कर रहे हैं। सौभाग्य से लादेन या रामविलास को मुसलमानों का समर्थन नहीं प्राप्त हुआ। लेकिन ऐसे धुरंधरों के रहते हुए आतंकवादियों को निश्चित राहत महसूस होती होगी। सोचते होंगे कि हमारा भी कोई तगड़ा आदमी वहां है। वैसे भी इस मुल्क में उनके तमाम हित-बन्धु पैदा हो गए हैं। कोई डॉक्टर है तो कोई इन्जीनियर, कोई मुल्ला तो कोई मौलवी, कोई कुछ तो कोई कुछ। उनको पूरी तरह मुतमईन रहना चाहिए। दिग्गज धर्मनिर्पेक्षों के रहते उनका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता। आतंकवादी अबुल बशर की गिरफ्तारी होगी तो एक से एक आला नेता पहुंचेंगे। जरूरी राहत और इमदाद देंगे। ऐसे में हे प्यारे आतंकवादियों! एकदम निश्चिन्त रहो, मन लगाकर अपना काम करो। लेकिन शिवराज भाई ''जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, सो नृप अवसि नरक अधिकारी।''

5 comments:

Unknown said...

mast likha hai bhaiya............

Sunilkahin.blogspot.com said...

good

Sunilkahin.blogspot.com said...

good

वेद रत्न शुक्ल said...

Post a Comment On: भड़ास"कितनी सहूलियत हो अगर आतंकवादी रोज विस्फोट करें!"
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raghwendra said...
shukla g, aapke vichar prasansaniya evam krantikaari hain unme jahan ek taraf system par karara vyangya hai wahin doosri taraf rastra k prati aapki chinta dikhti hai.

27/9/08 5:01 PM


वेद रत्न शुक्ल said...
टिप्पणी के लिए बन्धुवर बहुत-बहुत धन्यवाद।
वेद रत्न शुक्ल

28/9/08 7:53 AM

वेद रत्न शुक्ल said...

'इन्कलाब जिन्दाबाद' ब्लॉग पर ये विचार प्रकाशित होने के बाद ये टिप्पणियां नसीब हुई थीं।
4 Responses to “कितनी सहूलियत हो अगर आतंकवादी रोज विस्फोट करें!”
on September 25, 2008 at 8:40 pm
1 जटाशंकर झा
अरे भाई,
चैनल वाले अपने गृहमंत्री की बहुत किरकिरी कर चुके।
अब ब्लाग वाले भी भिड़ जाएंगे तो कैसे चलेगा।
देखते नहीं पाश्चात्य देशों में बुश- क्लिंटन कैसे रफ-टफ रहते हैं।
अब हमारे गृहमंत्री वेल ड्रेस्ड में रहते हैं तो इसमें कौन-सी बुरी बात है।
हां, आतंकवादी भी उनकी किरकिरी करा रहे हैं.
उन्हें समझना चाहिए कि देश के गृहमंत्री है- उन्हें अधूरी जानकारी कैसे दें।
देते तो पूरी जानकारी देते ताकि इसके बावजूद वो कुछ कर पाने में नाकाम होते तो गर्व से कहते कि हमें तो पूरी जानकारी थी।
हे भगवान, ऐसे कर्णधारों से तो भगवान ही बचा सकते है।
जय राम जी की।
अच्छा लिखा आपने।



on September 25, 2008 at 11:34 pm
2 sunder sharma
Bad neek likhle chhi raura!



on September 28, 2008 at 11:57 pm3 dharmveer, allahabad
lalu, ramvilas ka nam lia aapne aur mulayam singh ko kyun chhod diya.
sab….sa…gae guzre hain.



on September 29, 2008 at 6:15 pm
4 Ajay Tripathi,Ghana
Ye to apne achcha likha hai. Lekin ham is vyvastha ko kab tak gali dete rahenge ” Bhais ke age been bajate rahenge”.
Mai yaha door baith ke sochata hoon ki jab ghatana ghat jati hai uske bad hi halchal kyo nahi hot. Ab sunane me aaya hai ki khufiya tantra ko majboot kiya jayega ha baat sahi hai pahle khufiya vibhag ko vipakshi dalo ki jankariya jutane se fursat milegi tab na wo aam janata aur desh ki surksha ke bare me sochenge. Mere africa aane se pahle hamare mitra kaha kahtey they hi africa surkshit nahi hai. Ajj kal ki ghatnaye sunkar to lagta hai ki ab apana Bharat hi nahi surkhshit hai. Ye tatha kathit dharm nirpeksh log isko bhi Iraq aur syriya bana lenge tab jakar kahi unka maqsad pura hoga.

Kash kuchch aisha ho ki roshni aaye
warana ye log apne ghar me roshni ke liye desh hi jala denge.

Dhanyavad