27.8.09

यही "है" और "थे" का तो अंतर है शौरी जी


बीजेपी से अरुण शौरी भी विदा होने वाले हैं। बड़ा जेनुइन मुद्दा उठाए। एकदम से डेमोक्रेटिक। वसुन्धरा राजे सिन्धिया और भुवनचन्द खंडूरी वाले मुद्दे पर बोले। बोले कि वसुन्धरा को इतने में से इतना का समर्थन हासिल है और खंडूरी साहब को इतने में से इतना का समर्थन हासिल था फिर बहुमत वाले नेता को कैसे हटाया जा रहा है। यही ''है'' और ''थे'' का तो सब खेल है शौरी जी। इतनी सी बात समझ में न आई। कल तो जो खंडूरी के साथ थे आज नि:शंक के साथ हैं। (मेरा ख्याल है कि उनका तखल्लुस नि:शंक ही होगा बिना शंका के, वैसे हो सकता है निशंक का कोई अर्थ होता हो और वह यही लिखते हों) आज जो वसुन्धरा के साथ हैं कल जो नेता होगा उसके साथ होंगे। कोई गोल-गिरोह बना ले तो क्या करें? जिन्ना की भक्ति पर जसवन्त का क्या करें? भाजपा को तो छोड़िए आम भारतीय भी उन्हें माफ करने के मूड में नहीं है। कैसी नोटिस और कैसा स्पष्टीकरण? आप तो बहुत दूर तक की सोचते हैं। कहते हैं कि बदले में एक किताब लिखिए। सुना है कि जसवन्त ने पांच साल में अपनी किताब लिखी तो काउण्टर अटैक करने के लिए कितने समय में किताब लिखी जा सकेगी? आप तो भारी इण्टेलेक्चुअल हैं। बताइए आप कितने वर्ष में जवाबी पुस्तक लिख पायेंगे। तब जाकर जसवन्त को जवाब दिया जाए। तब जाकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इतने समय में तो भाजपा की लुटिया डूब जायेगी।
आपको याद तो होगा न कि जसवन्त की बातें एकदम से विश्वास लायक नहीं होतीं। कैसे उन्होंने अपनी पूर्व पुस्तक में कह दिया था कि नरसिम्हाराव की सरकार में उनके कार्यालय में एक विदेशी एजेण्ट सक्रिय था। बहुत पूछताछ हुई तो एक फर्जी किस्म का दस्तावेज प्रस्तुत किए। फिर उस पर सवाल उठा तो कहे कि यह सब मेरी कल्पना पर आधारित है यानि कि सब कपोल-कल्पित है। भाजपा की बड़ी भद पिटी।
इसके बाद प्रश्न है कि बीजेपी आप का क्या करे? बहुत नाराज थो पार्टी फोरम में बातचीत करते। वहां सवाल उठाते। अपने घर के झगड़े के बारे में देश को तो कोई एक बार भी नहीं बताता। माना कि आपके घर से देश को मतलब नहीं है लेकिन भाजपा से है। फिर भी वहीं चीजों को दुरुस्त करके बताते तो अच्छा रहता। बाहर चिल्लाएंगे तो क्या मिलेगा? बेइज्जती ही होगी। कोई लाभ नहीं मिलने वाला है।

3 comments:

Unknown said...

ved ji
aap bilkul theek farmaa rahe hain. vaise bhee raajneeti men aisaa hee kuchh hota hai. kisee shayar ne sach hi kahaa hai-
har namaajee shekh paigmabr nahee hota,
jugnuon ka kafila dinkar nahee hotaa.
yah siyasat ek tavayf ka duptta hai,
yah kisee ke aansuon se tar nahee hotaa

Girish Kumar Billore said...

कम किन्तु सटीक लिखतें हैं जी बधाईयां

bindas bol said...

bhai blogger ban gaye.........aacha likha hai........

tumhara dost

alok singh/ aligarh
9837830535