29.9.09

ब्लॉगवाणी: शंभु भये जगदीश

छोटी सी बात पर क्रोध उचित नहीं। कभी-कभी जो चीज हमारे लिए छोटी होती है वही चीज दूसरे के लिए बड़ी होती है। लेकिन जब सवाल एक बड़ी कम्युनिटी के हित का हो किसी भाषा(खासकर अपनी हिन्दी) और विचार-प्रवाह के हित का हो तो अपमान और लांछन के कड़वे घूंट को पी जाना ही श्रेयष्कर होता है। यही करके तो शंभु भये जगदीश
ब्लॉगवाणी फिर से शुरू हुई तो मुझे अपार हर्ष हो रहा है। हालांकि मैं नित-निरन्तर लिखता नहीं लेकिन यही वह माध्यम है जो मुझे पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत से जोड़े हुए है। ब्लॉगवाणी खोला और इसके बन्द होने की सूचना पाया तो सन्न रह गया। सोचा कि अपील करूं लेकिन नहीं किया। मुझे पूरा विश्वास था कि जनता की अपार मांग को टीम ब्लॉगवाणी नकार नहीं पायेगी और यह पुन शुरू होगी ही। हुआ भी यही। यही सोचकर आज फिर इसे खोला और खुश हुआ। अन्त में ब्लॉगवाणी टीम को लाख-लाख साधुवाद।

2 comments:

Rajesh Roshan said...

ved ratna Shukla ko mera namskaar. Main aapka sathi Rajesh Roshan...kaha hain aap...ho sake to aap apna mail id de...mera mail id hai rajroshan@gmail.com

अर्कजेश said...

हमारी भी यही भावनायें हैं ।